सोमवार, 25 मई 2020

http://mydailyroutine251.blogspot.com-police tough job 24-5-20

  •  मेरी दैनिक दिनचर्या । 


  • मैं पुलिस विभाग में कार्य करता हूं और मेरा जीवन बहुत कठिन है, और मैं इसी के बारे में ब्लॉग मे लिखता हूं। यदि आप मेरे ब्लॉग को पसंद करते हैं और मेरे बारे में अधिक जाना चाहते हो तो कृपया मेरे ब्लॉग को नियमित रूप से पढ़ा करिए।
https://mydailyroutine251.blogspot.com/2020/05/httpmydailyroutine251blogspotcom-police.html

  • मेरी दैनिक दिनचर्या के कठिन होने के कई कारण है, लेकिन सब कारणों का एक ब्लॉग में शामिल किया जाना संभव नहीं है।
  • इसलिए आज के ब्लॉग में इसके तीन कारण आपको निवेदन कर रहा हूं। जो इस प्रकार है:- 

  • पुलिस विभाग की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी है, लेकिन दुर्भाग्य से पुलिस की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसी की नहीं है। उदाहरण के लिए एक दिन मेरे को और मेरे साथ चार काँसटेबलो की ड्यूटी संक्रामक बीमारी अस्पताल में कोरोना कोविड 19 बीमारी के मरीजों के पास लगा दी। और मेरे को कहा गया कि आप सवाई मानसिंह अस्पताल पुलिस चौकी में चले जाओ। आपको वहां से कोरोना बचाव किट मिल जाएगा। लेकिन दोस्तों बड़े ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि हमें वहां पर  कोरोना से बचाव किट के रूप में एक मास्क भी न तो पुलिस प्रशासन द्वारा और न ही अस्पताल प्रशासन  दवारा उपलब्ध नहीं हुआ। और दोस्तों यह स्थिति जब है , जब पूरा विश्व कोरोना की बीमारी से जूझ रहा है। और इस बात का सबको ज्ञान है और दोस्तों अस्पताल का स्टाफ चपरासी से लेकर डॉक्टर प्रोफेसर तक पैरों से लेकर सिर तक किट पहन रखा था।

  • पुलिस विभाग में पुलिस अधिकारी के लिए लाभदायक कार्य को प्राथमिकता से नहीं करते हैं और जो कार्य पुलिस अधिकारी के लिए हानिकारक होता है ,उस कार्य को लिपिक स्टाफ और उच्च स्तर के पुलिस  अधिकारी सर्वोच्च प्राथमिकता से करते हैं । उदाहरण के लिए दोस्तों जैसे  किसी पुलिस अधिकारी को कोई सजा या दंडात्मक कार्यवाही होती है तो उस सजा या दंडात्मक कार्यवाही की प्रविष्टि लिपिक  या उच्च अधिकारियों द्वारा तुरंत प्रभाव से उनके सर्विस रिकॉर्ड में करा दी जाती है और यदि किसी पुलिस अधिकारी को इनाम या प्रशंसा पत्र प्रशासन द्वारा मिलता है तो लिपिकीय स्टाफ या उच्चाधिकारी उसकी प्रविष्ट करने में बहुत समय लगा देते या कभी-कभी तो करते ही नहीं है। एक उदाहरण मेरा स्वयं का देता हूं ,मेरे को 1 डिग्री की प्रविष्टि सर्विस बुक में करवानी थी । लेकिन  लिपिकीय  स्टाफ ने स्वयं की मर्जी से मेरी डिग्री को सर्विस बुक में प्रविष्ट नहीं किया और आखिर में दो साल बाद में मैं जिला पुलिस अधीक्षक महोदय के पेश होकर लिखित मे प्रार्थना पत्र पेश किया। जब पुलिस अधीक्षक महोदय के आदेश देने के बाद भी तीन महीने के बाद मेरी डिग्री को सर्विस बुक में दर्ज किया । अब इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पुलिस क्यों और कैसे तनाव में रहती है।

  • पुलिस विभाग में जब कोई पुलिस अधिकारी अपने जिले या विशेषकर राज्य से बाहर सरकारी कार्य से जाता है तो यात्रा के समय पैसा पुलिस अधिकारी का स्वयं का खर्च होता है जो पुलिस विभाग द्वारा समय पर नहीं मिलता है और यात्रा भत्ता देने की प्रक्रिया इतनी कठिन है कि कई बार तो पूर्ति के अभाव मे यात्रा भत्ता मिलता ही नहीं है। 1 महीने तक तो राज्य से बाहर जाने की अनुमति  स्वीकृत नहीं होती है ।दोस्तों में जुलाई 2019 में कर्नाटक और केरल गया था जिसका यात्रा भत्ता आज तक नहीं मिला है ।आदरणीय दोस्तों यह बड़े अफसोस की बात है कि यदि कोई पुलिस अधिकारी यात्रा में ही पैसा खर्च करेगा तो उसका परिवार का पालन कैसे करेगा।



  • मेरी दैनिक दिनचर्या की शुरुआत इस प्रकार होती है कि मैं सुबह जल्दी 4:00 a.m. पर जागकर सुबह की क्रियाओं से निवृत्त होकर 4 किलोमीटर की दौड़ करके आता हूं और इसके बाद 30 मिनट का विश्राम करता हूं और फिर इसके बाद प्राणायाम और योगा व्यायाम करता हूं , इसके पश्चात 20 मिनट का विश्राम करता हूं और फिर तैयार होकर नाश्ता करता हूं और खाना पैकिंग करवा कर घर से ड्यूटी हेतु पुलिस थाने के लिए रवाना हो जाता हूं। और घर से रवाना होकर 7:30 मिनट पर पुलिस थाने पहुंचकर एच एम से  ड्यूटी का पता किया तो बताया कि आपकी ड्यूटी नाकाबंदी में राज सिंह चौराहा पर है और आपके साथ06 कांस्टेबल और 2 महिला कॉन्स्टेबल भी है। पुलिस टीम को लेकर 7. 45 ए एम पर डयुटी  स्थान पर पहुंच गया  और ड्यूटी शुरु कर दी।आदरणीय दोस्तों मैंने दोपहर 1:00 बजे तक नाकाबंदी ड्यूटी में करीब 100 वाहन चेक किए। उनमें से 20 वाहनों को लोकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने पर जप्त कर पुलिस थाने पर खड़ा करवाया गया व दिन ड्यूटी अधिकारी को सुपुर्द कर दिया व 10 व्यक्तियों को जो पुलिस के राज्य कार्य में बाधा पहुंचा रहे थे को 151 सीआरपीसी में गिरफ्तार कर दिन  ड्यूटी अधिकारी को सुपुर्द कर दिया। इसके बाद 2:10 मिनट पर थाना प्रभारी का फोन काल प्राप्त हुआ कि आप थाने पर आ जाइए , आपको एक आरोपी को न्यायालय में पेश करके आना हे, इस पर में थाना प्रभारी के निर्देशानुसार थाने पर आकर 3 कॉन्स्टेबलो को साथ में लेकर आरोपी को लेकर पुलिस थाने से न्यायालय के लिए रवाना हुआ।
  • एक आरोपी को थाना से ले जाकर माननीय न्यायालय में पेश किया गया, जहां माननीय कोर्ट द्वारा कोर्ट परिसर में दाखिल होते ही यह दलील दी गई कि आप कोर्ट के अंदर नहीं आ सकते और ना ही  पुलिस अधिकारी द्वारा प्रस्तुत केस डायरी का अवलोकन किया गया ,और बताया गया कि आप पीडीएफ फाइल बनाकर संबंधित मजिस्ट्रेट के ईमेल आईडी पर उसे प्रेषित  करें ,उक्त प्रक्रिया के बाद सीधे कोर्ट से ऑर्डरशीट और जेल वारंट प्राप्त कर उस पर आरोपी और पेश करता पुलिसकर्मी के हस्ताक्षर कर आरोपी को जिला जेल में ले जाया गया, जहां पर गेट कीपर मेन गेट की खिड़की से   देखकर सारी व्यथा सुनी बाद में अपने सीनियर अधिकारियों से मशवरा कर एक डॉक्टर को भिजवाया  जिसने कहां  कि आप उक्त आरोपी को जिला अस्पताल में  ले जाकर कोरोना संबंधित जांच करवाकर लाओ, बाद में मुझ पुलीस अधिकारी द्वारा आरोपी को जिला चिकित्सालय ले जाकर जांच करवाई जाती है जहां डॉक्टर अपनी पूरी व्यवस्था से सुसज्जित आरोपी की जांच करते हैं ,जांच उपरांत आरोपी को जिला जेल लाया गया आरोपी का मेडिकल देखने के पश्चात जेल पर इसे बाहर साबुन से नहलाने का कहा गया उसके बाद मैंने उक्त आरोपी को लेकर जेल के मेन गेट में दाखिल हुआ है वहां स्प्रे पंप से उक्त आरोपी को सैनिटाइजर किया जाता है और  मेरे को भी सैनिटाइज किया जाता है, बाद उक्त आरोपी का नाम पता पूछ कर अंदर दाखिल किया जाता है जहां स्प्रे पंप वाला उसे उसके संबंधित गंतव्य तक पहुंचाता है इस पूरी प्रक्रिया में मेरे को यह एहसास होता है कि इस वैश्विक महामारी में सभी को अपनी फिक्र है तो  पुलिस अधिकारी की जिंदगी एक कीड़े मकोड़े की है , जो कहीं भी किसी के पैर के तले कुचल जाए वह  पुलिस अधिकारी उस आरोपी को पकड़ने से लेकर उसकी लिखा पढ़ी कर उसे साथ  अपने वाहन पर बिठाकर ले जाता है उस  पुलिस अधिकारी की जान की कोई कीमत नहीं है। उसके भी घर में उसके मां पिता ,भाई बहन,पति पत्नी बेटा को मां बेटी है , पुलिस अधिकारी की जिंदगी इतनी सस्ती है आज एहसास हुआ। इसके बाद में मैं  पुलिस थाने पर आया और डायरी में अपनी वापसी अंकित करवा कर फ्री हुआ और  स्वयं को सैनिटाइजर किया व सिविल कपड़े पहन कर घर के लिए रवाना हो गया।


  •  मेरी दैनिक दिनचर्या के बारे में दोस्तों आप स्वयं अनुमान लगा सकते हो कि कितनी ज्यादा कठिन है। जिसका  ताजा उदाहरण  राजगढ़ पुलिस थाने के  थानाधिकारी  दवारा  आत्महत्या  करना है  और थानाधिकारी  दवारा  आत्महत्या नोट में  चारों तरफ से मानसिक तनाव  के दबाव  में आकर  आत्महत्या  करना अंकित किया है  और दोस्तों  वह भी ऐसा  ईमानदार  सख्त  और  परिपक्व  अधिकारी  जिसके लिए  राजस्थान पुलिस के  डीजीपी  डायरेक्टर जनरल आफ पुलिस  ने भी यह कहा है  की राजगढ़ थाना अधिकारी  राजस्थान के  टॉप टेन में है ।  जब इतना सर्वोत्तम लेवल का अधिकारी  ही मानसिक तनाव में आकर  आत्महत्या कर सकता है तो आप अनुमान लगा सकते हो  दूसरे पुलिस अधिकारियों का मानसिक  दबाव  की वजह से  क्या स्थिति होती होगी?  अब दोस्तों रात्रि के 10:00 बजे चुके और मैं घर पहुंच चुका हूं। आदरणीय दोस्तों मेरी यह राय है कि पुलिस अधिकारी के कठिन दैनिक दिनचर्या के जो तीन कारण मैंने ऊपर निवेदन किया है , उनका समाधान किया जाना चाहिए और पुलिस के विकास और संसाधनों और तनाव को दूर करने के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा कर पुलिस  अधिकारियों के  लिए सुनहरा कल विकसित करना चाहिए।
मेरी दैनिक दिनचर्या इसी विश्वास के साथ पूर्ण होती है कि पुलिस के लिए जल्दी ही सुनहरा कल आयेगा।

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My daily routine.



 I work in the police department and my life is very difficult, and I write about it in the blog.  If you like my blog and want to know more about me, please read my blog regularly.

http://mydailyroutine251blogspotcom-police.html/police tough job24-5-20


 There are many reasons why my daily routine is difficult, but it is not possible to include all the reasons in a blog.

 So in today's blog I am requesting you for three reasons.  which is like this:-


 The police department is responsible for internal security, but unfortunately no one is responsible for the security of the police.  For example, one day, with me and four constables with me, the duty of Corona Kovid in the infectious disease hospital was given to 19 patients.  And I was asked to go to Sawai Mansingh Hospital Police Post.  You will get the Corona rescue kit from there.  But friends, we have to say with great sadness that we have not got a mask in the form of rescue kit from Corona, neither by the police administration nor by the hospital administration.  And friends, this is the situation when the whole world is struggling with corona disease.  And everyone knows this and friends, the staff of the hospital, from peons to doctors to professors, wore kits from feet to heads.


 The police department does not prioritize the work which is profitable for the police officer and the work which is harmful to the police officer, is done by the clerical staff and high level police officers with the highest priority.  For example, if any punishment or punitive action is taken by a police officer like friends, then the entry of that punishment or punitive action is done by clerical or higher officials in their service record with immediate effect and if a police officer gets a reward or a letter of appreciation  If found by the administration, the clerical staff or high officials would spend a lot of time in entering it or sometimes they do not.  To give an example of my own, I had to get 1 degree entry in the service book.  But the clerical staff did not enter my degree in the service book of their own free will and finally after two years, I appeared before the District Superintendent of Police and submitted the application in writing.  When, even after giving orders from the Superintendent of Police, after three months, my degree was recorded in the service book.  Now you can guess why and how the police are under stress.


 In police department, when a police officer goes out of government work outside his district or especially the state, then the money is spent by the police officer during the journey, which is not received by the police department on time and the process of giving travel allowance is so difficult.  That many times travel allowance is not available in the absence of fulfillment.  Permission to go out of state for 1 month is not approved. The friends went to Karnataka and Kerala in July 2019, whose travel allowance has not been received till date. Dear friends, it is a matter of great regret that if a police officer is traveling  If he spends money then how will he follow his family.




 My daily routine starts at 4:00 a.m. early in the morning.  But after waking up, retired from morning activities, I run for 4 kilometers and after that I take 30 minutes rest and then do Pranayama and Yoga exercises after that, after 20 minutes rest and then I get ready and have breakfast.  And after packing the food, I leave the house for duty at the police station.  And after leaving from home, reached the police station at 7:30 and found the duty from HM, told that your duty blockade is on Raj Singh Chauraha and you are accompanied by 06 constables and 2 women constables.  The police team reached the duty place at 7.45 am and started duty. Honorable friends, I checked about 100 vehicles in the blockade duty till 1:00 pm.  Out of them, 20 vehicles were seized for violating the rules of Lokdown and made to stand at the police station and handed over the day duty officer and 10 persons who were obstructing the state work of police were arrested in 151 CRPC on day duty.  Handed over to the officer.  After this, at 2:10 minutes, I received a call from the station in-charge that you come to the police station, you have to present an accused in the court, on this, according to the in-charge of the station, the constable came to the police station with the 3 constables.  Lekar left for the court from the police station.

 One of the accused was taken from the police station and presented to the Honorable Court, where it was contended that as soon as the Honorable Court entered the court premises, you could not come inside the court nor the case diary submitted by the police officer was observed,  And it was told that you make a PDF file and send it to the email ID of the concerned magistrate, after the said process, after receiving the order sheet and jail warrant directly from the court, the accused was taken to the district jail by signing the accused and presenting policeman,  While seeing the gate keeper from the window of the main gate, he heard all the agony and later consulted with his senior officers and sent a doctor who brought the accused to the district hospital and get the corona related investigation done, later accused by the police officer.  The person is taken to the district hospital to be examined where the doctor examines the accused fully equipped, after investigation, the accused was brought to the district jail, after seeing the medical of the accused, he was asked to wash it with soap outside the jail after that I said  Jail regarding the accused  In the main gate of K, the said accused is sanitized with spray pump and sanitized to me as well, after inquiring the name of the accused and entering it, where the spray pump carries it to its respective destination.  In this whole process, I realize that in this global epidemic everyone is concerned, then the life of a police officer is of a worm, which can be crushed under anyone's feet, that police officer can catch that accused.  Taking his reading, he takes him along with him to his vehicle and takes the life of that police officer at no cost.  In her house too, her mother is father, siblings, husband wife, son to mother daughter, the life of a police officer is so cheap today realized.  Later, I came to the police station and got my return in the diary free, and sanitized myself and left for home wearing civil clothes.



 Friends, you can guess yourself about my daily routine how difficult it is.  The latest example of which is to commit suicide by the police officer of Rajgarh Police Station, and by the police officer, suicide note has been mentioned in the suicide note from all around under the pressure of mental stress and friends, that honest honest and mature officer for whom DGP Director General of Rajasthan Police  The police has also said that the Rajgarh police station officer is in the top ten of Rajasthan.  When an officer of such best level can commit suicide under mental stress, then you can guess what the situation will be due to the mental pressure of other police officers?  Now friends have gone past 10:00 and I have reached home.  Respected friends, I am of the opinion that the three reasons for the tough daily routine of the police officer, which I have requested above, should be addressed and the important points for the development of the police and the resources and stress to be overcome are important for the police officers.  Tomorrow should develop.

 My daily routine is complete with the belief that a golden tomorrow will be available for the police soon.

http://mydailyroutine251blogspotcom-police.html/a sincere tribute to an honest and hardworking police officer who commited suicide due to pressure of mental stress.
shiri vishnu dutt  sho ps rajgarh churu india













Dutch translatiate

Mijn dagelijkse routine.



 Ik werk op de politie en mijn leven is erg moeilijk, en ik schrijf erover in de blog.  Als je mijn blog leuk vindt en meer over mij wilt weten, lees dan regelmatig mijn blog.

 Er zijn veel redenen waarom mijn dagelijkse routine moeilijk is, maar het is niet mogelijk om alle redenen in een blog op te nemen.

 Dus in de blog van vandaag vraag ik je om drie redenen.  wat zo is: -


 De politie heeft de verantwoordelijkheid voor de interne veiligheid, maar helaas is niemand verantwoordelijk voor de beveiliging van de politie.  Zo werd op een dag, met mij en vier agenten met mij, de plicht van Corona Kovid in het ziekenhuis voor infectieziekten gegeven aan 19 patiënten.  En ik werd gevraagd om naar de politiepost van het Sawai Mansingh-ziekenhuis te gaan.  Je krijgt daar de Corona-reddingskit.  Maar vrienden, we moeten met grote droefheid zeggen dat we geen masker in de vorm van een reddingspakket van Corona hebben gekregen, noch door de politie noch door de ziekenhuisadministratie.  En vrienden, dit is de situatie waarin de hele wereld worstelt met corona-ziekte.  En iedereen weet dit en vrienden, de staf van het ziekenhuis, van medespelers tot artsen tot professoren, droegen kits van voeten tot hoofden.


 De politie geeft geen prioriteit aan het werk dat winstgevend is voor de politieagent en het werk dat schadelijk is voor de politieagent, wordt gedaan door het administratief personeel en hoge politieagenten met de hoogste prioriteit.  Als bijvoorbeeld een straf of strafactie wordt ondernomen door een politieagent zoals vrienden, dan wordt de straf of strafactie door administratieve of hogere functionarissen met onmiddellijke ingang in hun dienstadministratie opgenomen en als een politieagent een beloning of een brief van waardering krijgt  Indien gevonden door de administratie, zouden de administratieve staf of hoge ambtenaren veel tijd besteden aan het betreden ervan of soms niet.  Om een ​​eigen voorbeeld te geven, moest ik 1 graadvermelding in het serviceboek krijgen.  Maar het administratieve personeel heeft mijn diploma niet uit vrije wil in het dienstboek ingevoerd en uiteindelijk, na twee jaar, verscheen ik voor de districtssuperintendent van de politie en diende de aanvraag schriftelijk in.  Toen, zelfs na het geven van bevelen van de hoofdinspecteur van politie, na drie maanden, mijn diploma werd opgenomen in het dienstboek.  Nu kun je raden waarom en hoe de politie onder druk staat.


 Bij de politie, wanneer een politieagent buiten zijn district of met name de staat zijn overheidswerk verlaat, wordt het geld tijdens de reis door de politieagent uitgegeven, die niet op tijd door de politie wordt ontvangen en het proces van het verlenen van reiskostenvergoeding is zo moeilijk.  Dat reiskostenvergoeding vaak niet beschikbaar is bij gebrek aan nakoming.  Toestemming om 1 maand de staat uit te gaan is niet goedgekeurd. De vrienden zijn in juli 2019 naar Karnataka en Kerala geweest, wiens reiskostenvergoeding nog niet is ontvangen. Beste vrienden, het is een grote spijt dat als een politieagent op reis is  Als hij geld uitgeeft, hoe zal hij dan zijn gezin volgen.




 Mijn dagelijkse routine begint om vier uur 's ochtends vroeg in de ochtend.  Maar nadat ik wakker ben geworden, gestopt met ochtendactiviteiten, ren ik 4 kilometer en daarna 30 minuten rust en daarna Pranayama- en Yoga-oefeningen, daarna 20 minuten rust en dan maak ik me klaar en ontbijt ik.  En nadat ik het eten heb ingepakt, verlaat ik het huis voor dienst op het politiebureau.  En nadat ik van huis was vertrokken, bereikte ik het politiebureau om 7.30 uur en vond de dienst van HM, vertelde dat je blokkade voor dienstplicht is op Raj Singh Chauraha en je wordt vergezeld door 06 agenten en 2 vrouwelijke agenten.  Het politieteam bereikte de dienst om 07.45 uur en ging aan de slag Eervolle vrienden, ik controleerde ongeveer 100 voertuigen in de blokkeringsdienst tot 13.00 uur.  Van hen werden 20 voertuigen in beslag genomen wegens overtreding van de regels van Lokdown, op het politiebureau gezet en overhandigd aan de dagdienst en 10 personen die het staatswerk van de politie belemmerden, werden gearresteerd in 151 CRPC op dagdienst.  Overhandigd aan de officier.  Hierna, om 2:10 minuten, kreeg ik een telefoontje van het leidinggevende station dat je naar het politiebureau komt, je moet een verdachte in de rechtbank presenteren, hierop kwam, volgens de verantwoordelijke van het station, de agent naar het politiebureau met de 3 agenten.  Lekar vertrok vanaf het politiebureau naar de rechtbank.

 Een van de verdachten werd van het politiebureau gehaald en aan het geachte gerechtshof voorgelegd, waar werd gesteld dat zodra het geachte gerechtshof het gebouw van de rechtbank binnenkwam, u niet binnen kon komen en het door de politieagent ingediende dagboek niet werd nageleefd,  En er werd u verteld dat u een PDF-bestand maakt en dit naar de e-mail-ID van de betrokken magistraat stuurt, na het genoemde proces, na ontvangst van het bestelformulier en het gevangenisstraf rechtstreeks van de rechtbank, werd de verdachte naar de districtsgevangenis gebracht door de verdachte te ondertekenen en de politieman te presenteren,  Terwijl hij de poortwachter vanuit het raam van de hoofdingang zag, hoorde hij alle pijn en raadpleegde later zijn hoge officieren en stuurde een dokter, die u de verdachte naar het districtsziekenhuis bracht en een corona-gerelateerd onderzoek liet doen, later beschuldigd door de politieagent.  De persoon wordt naar het districtsziekenhuis gebracht om te worden onderzocht, waar de arts de verdachte volledig uitgerust onderzoekt, na onderzoek werd de verdachte naar de districtsgevangenis gebracht, nadat hij de medische van de verdachte had gezien, werd hem gevraagd om het met zeep buiten de gevangenis te wassen, daarna zei ik dat  Gevangenis met betrekking tot de verdachte  In de hoofdingang van K wordt genoemde verdachte gezuiverd met een sproeipomp en ook voor mij gezuiverd, na navraag te hebben gedaan naar de naam van de verdachte en deze te zijn binnengekomen, waar de sproeipomp hem naar zijn respectievelijke bestemming brengt.  In dit hele proces realiseer ik me dat in deze wereldwijde epidemie iedereen bezorgd is, dan is het leven van een politieagent een worm, die onder iemands voeten kan worden verpletterd, zodat de politieagent die beschuldigde kan vangen.  Bij het lezen neemt hij hem mee naar zijn voertuig en neemt hij het leven van die politieagent.  Ook in zijn huis is zijn moeder vader, broers en zussen, man en vrouw, moeder is dochter, het leven van een politieagent is tegenwoordig zo goedkoop gerealiseerd.  Later kwam ik naar het politiebureau en kreeg mijn terugkeer in het dagboek gratis, maakte mezelf schoon en vertrok naar huis, gekleed in burgerkleding.



 Vrienden, je kunt zelf raden hoe moeilijk mijn dagelijkse routine is.  Het laatste voorbeeld hiervan is het plegen van zelfmoord door de politieagent van het politiebureau van Rajgarh en door de politieagent, een zelfmoordbriefje wordt overal in de zelfmoordbrief genoemd onder druk van mentale stress en vrienden, die eerlijke, eerlijke en volwassen officier voor wie DGP directeur-generaal van de Rajasthan-politie  De politie heeft ook gezegd dat de Rajgarh-politieofficier in de top tien van Rajasthan staat.  Als een officier van zo'n hoog niveau onder mentale stress zelfmoord kan plegen, kunt u dan raden wat de situatie zal zijn als gevolg van de mentale druk van andere politieagenten?  Nu zijn vrienden de 10:00 gepasseerd en ben ik thuis aangekomen.  Geachte vrienden, ik ben van mening dat de drie redenen voor de zware dagelijkse routine van de politieagent, die ik hierboven heb aangevraagd, moeten worden aangepakt en dat de belangrijke punten voor de ontwikkeling van de politie en de middelen en stress die moeten worden overwonnen, de gouden punten zijn voor de politieagenten.  Morgen zou zich moeten ontwikkelen.


 Mijn dagelijkse routine is compleet met de overtuiging dat er binnenkort een gouden morgen voor de politie beschikbaar zal zijn.

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http://mydailyroutine251.blogspot.com 16.02.2021

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