आदरणीय दोस्तों नमस्कार।
जैसा कि आप सभी को विदित है मैं पुलिस विभाग में कार्यरत हूं और मेरी प्रतिदिन की कठिन दैनिक दिनचर्या के बारे में लिखता हूं और और आप सम्मानीय दोस्तों से आग्रह है कि यदि आप मेरे बारे में रुचि रखते हो तो कृपया प्रतिदिन मेरे ब्लॉग को पढ़ा करिए और मेरे को कमेंट के माध्यम से और फॉलो करके मेरे ब्लॉग लिखने की शैली की गुणवत्ता में वर्दी के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनिए।
आदरणीय दोस्तों जैसा कि मैं ब्लॉग में लिखता हूं कि मेरा प्रतिदिन का जीवन बहुत कठिन है तो आज मैं इसके बारे में आपको बताता हूं की एक पुलिस अधिकारी का जीवन क्यों कठिन है? आदरणीय दोस्तों पुलिस समय पर भोजन नहीं कर सकती समय पर घर नहीं जा सकती है परिवार को समय नहीं दे सकती है मुख्य त्योहारों पर परिवार के साथ सेलिब्रेट नहीं किया जा सकता है और जब प्रशासन के आदेशों की पालना करते हैं तो जनता के निशाने पर पुलिस आती है जबकि इसमें पुलिस का कोई दोष नहीं है क्योंकि पुलिस तो कानून की पालना करवाती है जो उसकी ड्यूटी है और दोस्तों इसके अलावा सबसे बड़ी विडंबना यह है कि पुलिस की इतनी कठिनाइयों के बावजूद भी पुलिस को कोई छुट्टी देय नहीं होती साप्ताहिक मासिक या सालाना, पुलिस अधिकारी को छुट्टी निर्धारित कोटे में से लेने पर ही मिलती है। आदरणीय दोस्तों अब आप समझ गए होंगे कि पुलिस का प्रतिदिन का जीवन इतना कठिन है इसलिए मैं प्रतिदिन की कठिन जीवन शैली पर ब्लॉग लिखता हूं ।
आदरणीय दोस्तों आज मैं सुबह 4:00 a.m. पर जाकर 4 किलोमीटर की दौड़ पूरी करके वापस आया और 15 मिनट का आराम किया उसके बाद व्यायाम योगा प्राणायाम किया क्योंकि यह शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए बेहद जरूरी है और उसके बाद कुछ न्यूट्रिशन लिए और फिर पुलिस थाने जाने के लिए तैयार होकर नाश्ता किया और खाना पैकिंग करवा कर पुलिस थाने के लिए रवाना हो गया और पुलिस थाने पर पहुंचा तो कल ब्लॉग मे मैंने आप सब अपने दोस्तौ को बताया था कि मैं मेरी एक पत्रावली में जो चोरी की है अनुसंधान कर रहा हूं उसमें आज अपराधियों को गिरफ्तार किए हुए हैं 24 घंटे हो रहे थे इसलिए मैंने दोनों अपराधियों को हवालात से बाहर निकाल कर दो कॉस्टेबल साथ लेकर उनका पुनः स्वास्थ्य परीक्षण करवाने हेतु अस्पताल गया और मेडिकल जूरिस्ट से स्वास्थ्य परीक्षण करवाकर स्वास्थ्य परीक्षण की रिपोर्ट प्राप्त कर पुलिस थाने पर वापस आए और मुलजिम को पुलिस थाने में हवालात के अंदर बंद करवाया वा उनको भोजन आदि करवाया। आदरणीय दोस्तों अब मैं आपको यहां यह बताना उचित समझता हूं कि इस समय सरकार के भी सख्त आदेश है कि कोई भी व्यक्ति छोटी मोटी बीमारियों के लिए अस्पताल में नही जाए लेकिन यह बड़ी विडंबना की बात है और दुख की बात है की पुलिस को मुलजिम का स्वास्थ्य परीक्षण करवाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर अस्पताल में जाना होता है और दूसरी बात मुलजिम को स्वयं के खर्चे से लाना ले जाना होता है इसलिए दोस्तों पुलिस की दैनिक दिनचर्या बहुत कठिन है क्योंकि पुलिस को समय पर भोजन आराम कुछ भी प्राप्त नहीं होता है इसके बावजूद प्रशासन सरकार जनता मैं से कोई भी पुलिस समस्याओं को हल करने में कोई रुचि नहीं लेता है यह बड़े दुख की बात है। दोस्तों इसके बाद मैंने एचएम प्रशासन से दो कॉन्स्टेबल प्राप्त किए और मुलजिम को हवालात से निकालकर पत्रावली प्राप्त कर जनरल डायरी में रवानगी अंकित करवा कर न्यायालय में पेश करने के लिए रवाना हुआ। आदरणीय दोस्तों न्यायालय में जाने से पहले अपराधियों की फोटोग्राफी करवाई गई और उसके बाद मैं और मेरी पुलिस टीम दोनों अपराधियों को लेकर महानगर न्यायालय में पहुंचे और मुलजिम को महानगर मजिस्ट्रेट महोदय के समक्ष पेश किया। महानगर मजिस्ट्रेट महोदय ने पत्रावली का अवलोकन किया और दोनों मुलजीमानो को 15 दिन न्यायिक अभिरक्षा में भेजने का आदेश दिया और मुलजिमो का जेसी वारंट बनाकर मन अनुसंधान अधिकारी को सौंप दिया। मन अनुसंधान अधिकारी ने वारंट प्राप्त कर न्यायालय से केंद्रीय कारागृह जयपुर के लिए रवाना हुए और एक टैक्सी किराए पर लेकर मैं और मेरी पुलिस टीम और मुलजिम केंद्रीय कारागृह पहुंचे और कारागृह अधीक्षक को दोनों मुलजिमो का जेसी वारंट दिया जिसका कारागृह अधीक्षक द्वारा निरीक्षण कर सही पाए जाने पर दोनों मुजरिमों को बाद जांच तलाशी जेल में अंदर दाखिल करने के आदेश फरमाए जिस पर मन अनुसंधान अधिकारी ने दोनों मुलजिमों को जेल में दाखिल करवाकर प्राप्ति रसीद लेकर केंद्रीय कारागृह से पुलिस थाने के लिए रवाना हुए पुलिस थाने में आकर संपूर्ण हालात थाना प्रभारी को निवेदन किया गया ।और जनरल डायरी में अपनी वापसी करवाई।
जैसा कि आप सभी को विदित है मैं पुलिस विभाग में कार्यरत हूं और मेरी प्रतिदिन की कठिन दैनिक दिनचर्या के बारे में लिखता हूं और और आप सम्मानीय दोस्तों से आग्रह है कि यदि आप मेरे बारे में रुचि रखते हो तो कृपया प्रतिदिन मेरे ब्लॉग को पढ़ा करिए और मेरे को कमेंट के माध्यम से और फॉलो करके मेरे ब्लॉग लिखने की शैली की गुणवत्ता में वर्दी के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनिए।
आदरणीय दोस्तों जैसा कि मैं ब्लॉग में लिखता हूं कि मेरा प्रतिदिन का जीवन बहुत कठिन है तो आज मैं इसके बारे में आपको बताता हूं की एक पुलिस अधिकारी का जीवन क्यों कठिन है? आदरणीय दोस्तों पुलिस समय पर भोजन नहीं कर सकती समय पर घर नहीं जा सकती है परिवार को समय नहीं दे सकती है मुख्य त्योहारों पर परिवार के साथ सेलिब्रेट नहीं किया जा सकता है और जब प्रशासन के आदेशों की पालना करते हैं तो जनता के निशाने पर पुलिस आती है जबकि इसमें पुलिस का कोई दोष नहीं है क्योंकि पुलिस तो कानून की पालना करवाती है जो उसकी ड्यूटी है और दोस्तों इसके अलावा सबसे बड़ी विडंबना यह है कि पुलिस की इतनी कठिनाइयों के बावजूद भी पुलिस को कोई छुट्टी देय नहीं होती साप्ताहिक मासिक या सालाना, पुलिस अधिकारी को छुट्टी निर्धारित कोटे में से लेने पर ही मिलती है। आदरणीय दोस्तों अब आप समझ गए होंगे कि पुलिस का प्रतिदिन का जीवन इतना कठिन है इसलिए मैं प्रतिदिन की कठिन जीवन शैली पर ब्लॉग लिखता हूं ।
आदरणीय दोस्तों आज मैं सुबह 4:00 a.m. पर जाकर 4 किलोमीटर की दौड़ पूरी करके वापस आया और 15 मिनट का आराम किया उसके बाद व्यायाम योगा प्राणायाम किया क्योंकि यह शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए बेहद जरूरी है और उसके बाद कुछ न्यूट्रिशन लिए और फिर पुलिस थाने जाने के लिए तैयार होकर नाश्ता किया और खाना पैकिंग करवा कर पुलिस थाने के लिए रवाना हो गया और पुलिस थाने पर पहुंचा तो कल ब्लॉग मे मैंने आप सब अपने दोस्तौ को बताया था कि मैं मेरी एक पत्रावली में जो चोरी की है अनुसंधान कर रहा हूं उसमें आज अपराधियों को गिरफ्तार किए हुए हैं 24 घंटे हो रहे थे इसलिए मैंने दोनों अपराधियों को हवालात से बाहर निकाल कर दो कॉस्टेबल साथ लेकर उनका पुनः स्वास्थ्य परीक्षण करवाने हेतु अस्पताल गया और मेडिकल जूरिस्ट से स्वास्थ्य परीक्षण करवाकर स्वास्थ्य परीक्षण की रिपोर्ट प्राप्त कर पुलिस थाने पर वापस आए और मुलजिम को पुलिस थाने में हवालात के अंदर बंद करवाया वा उनको भोजन आदि करवाया। आदरणीय दोस्तों अब मैं आपको यहां यह बताना उचित समझता हूं कि इस समय सरकार के भी सख्त आदेश है कि कोई भी व्यक्ति छोटी मोटी बीमारियों के लिए अस्पताल में नही जाए लेकिन यह बड़ी विडंबना की बात है और दुख की बात है की पुलिस को मुलजिम का स्वास्थ्य परीक्षण करवाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर अस्पताल में जाना होता है और दूसरी बात मुलजिम को स्वयं के खर्चे से लाना ले जाना होता है इसलिए दोस्तों पुलिस की दैनिक दिनचर्या बहुत कठिन है क्योंकि पुलिस को समय पर भोजन आराम कुछ भी प्राप्त नहीं होता है इसके बावजूद प्रशासन सरकार जनता मैं से कोई भी पुलिस समस्याओं को हल करने में कोई रुचि नहीं लेता है यह बड़े दुख की बात है। दोस्तों इसके बाद मैंने एचएम प्रशासन से दो कॉन्स्टेबल प्राप्त किए और मुलजिम को हवालात से निकालकर पत्रावली प्राप्त कर जनरल डायरी में रवानगी अंकित करवा कर न्यायालय में पेश करने के लिए रवाना हुआ। आदरणीय दोस्तों न्यायालय में जाने से पहले अपराधियों की फोटोग्राफी करवाई गई और उसके बाद मैं और मेरी पुलिस टीम दोनों अपराधियों को लेकर महानगर न्यायालय में पहुंचे और मुलजिम को महानगर मजिस्ट्रेट महोदय के समक्ष पेश किया। महानगर मजिस्ट्रेट महोदय ने पत्रावली का अवलोकन किया और दोनों मुलजीमानो को 15 दिन न्यायिक अभिरक्षा में भेजने का आदेश दिया और मुलजिमो का जेसी वारंट बनाकर मन अनुसंधान अधिकारी को सौंप दिया। मन अनुसंधान अधिकारी ने वारंट प्राप्त कर न्यायालय से केंद्रीय कारागृह जयपुर के लिए रवाना हुए और एक टैक्सी किराए पर लेकर मैं और मेरी पुलिस टीम और मुलजिम केंद्रीय कारागृह पहुंचे और कारागृह अधीक्षक को दोनों मुलजिमो का जेसी वारंट दिया जिसका कारागृह अधीक्षक द्वारा निरीक्षण कर सही पाए जाने पर दोनों मुजरिमों को बाद जांच तलाशी जेल में अंदर दाखिल करने के आदेश फरमाए जिस पर मन अनुसंधान अधिकारी ने दोनों मुलजिमों को जेल में दाखिल करवाकर प्राप्ति रसीद लेकर केंद्रीय कारागृह से पुलिस थाने के लिए रवाना हुए पुलिस थाने में आकर संपूर्ण हालात थाना प्रभारी को निवेदन किया गया ।और जनरल डायरी में अपनी वापसी करवाई।
आदरणीय दोस्तों 9:45 पर पुलिस थाने पर पहुंचकर पुलिस वर्दी बदलकर सिविल कपड़े पहने और घर के लिए रवाना हुआ तो थाना प्रभारी ने निर्देश दिया कि आप की कल सुबह जल्दी ड्यूटी है और रात में भी आपकी जरूरत हो सकती है इसलिए आप आज रात्रि विश्राम पुलिस थाने पर ही कर लीजिए। दोस्तों आप ही बताइए कि एक व्यक्ति जो 8 घंटे की ड्यूटी करके अपने घर चले जाता है और एक पुलिस अधिकारी सुबह 7:00 a.m. से रात को 9:45 पीएम तक ड्यूटी पर रहता है और उसके बाद भी वह अपने परिवार के पास नहीं जा पाता है तो क्या यह चिंता का विषय नहीं है? इसलिए दोस्तों पुलिस में तनाव और बेवजह का हरासमेंट के द्वारा पुलिस अधिकारी गुणवत्तापूर्ण अपनी ड्यूटी नहीं कर पाते और अपने व्यवहार में शालीनता रखने में असमर्थ रहते हैं आदरणीय दोस्तों इसी के साथ आज की मेरी कठिन दिनचर्या का समापन हुआ।
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